Tuesday, March 28, 2017

अपंगता को हरा चुवाड़ी का संजय बना ओलम्पिक विजेता

संजय को मिले उसका हक़ आओ आवाज उठायें।
                

संजय और कंचन ऑस्ट्रिया से लौटने के बाद
कहते हैं कि सपने उसी के पुरे होते हैं जिसके सपनो में जान होती है,
पँखो से कुछ नहीं होता दोस्तो हौंसलो से उड़ान होती है

कुछ ऐसी ही उड़ान भरी है चुवाड़ी के संजय कुमार ने स्पेशल विंटर ओलिंपिक में स्नो बोर्डिंग प्रतियोगिता में 2 गोल्ड मैडल जीत कर। ऑस्ट्रिया के ग्रास शहर में 14 मार्च से 25 मार्च तक चले स्पेशल ओलिंपिक में विश्व के बहुत से देशों ने हिस्सा लिया संजय कुमार ने जबरदस्त खेल दिखाते हुए 2 गोल्ड मैडल अपने नाम किये। जब कोई महान कार्य करता है तो उसके बचपन को याद किया जाता है और लिखा जाता है कि बचपन से कुशाग्र बुद्धि के धनी पर यंहा संजय के लिए बिलकुल उल्टा है संजय बचपन से ही मन्दबुद्धि था और यही श्राप उसने अपने लिए बरदान बना लिया। एक ही कक्षा में कई बार फेल होने वाला संजय सिर्फ पांच कक्षा ही पढ़ पाया। और हमेशा उपहास का केंद्र रहा। ज़िन्दगी से लड़ते लड़ते और लोगो की गालियां सुनता संजय चुवाड़ी की गलियों में बड़ा होता गया। घर की आर्थिक हालत ठीक न होने की वजह से मजदूरी करता रहा। अंत्योदय परिवार से सम्बंधित संजय ने पूरी दुनिया में मिसाल कायम की है कि अगर इंसान के अंदर कुछ करने का जज्बा हो तो बाधाएं रोक नहीं पाती।
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मानसिक अपंगता का शिकार:-

संजय कुमार बचपन से ही मानसिक अपंगता का शिकार है इसीलिए इसका मानसिक विकास नहीं हो पाया और स्वभाव में बिलकुल भोला भाला संजय जुबान से भी लड़खड़ाता है। परन्तु इतनी मुश्किल के बाद भी संजय ने हार नहीं मानी और दो बार भारत का अंतरार्ष्ट्रीय स्तर पर सफल नेतृत्व कर चुका है।

2013 में दो गोल्ड मैडल:-

2013 में साउथ कोरिया में स्पेशल विंटर ओलिंपिक में भी संजय अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चूका है। 2013 में संजय कुमार ने स्नो बोर्डिंग प्रतियोगिता में दो गोल्ड मैडल जीत चूका है।

मुस्लिम परिवार से सम्बंधित :-

संजय कुमार धर्म की बेड़ियों में बंधा नहीं है इसलिये मुस्लिम जुलाहा परिवार से सम्बंधित होने के बाबजूद भी नाम हिन्दू ही है। पिता का नाम लिखो और माता का देहांत हो चूका है। संजय कुमार को वैसे तो बोलने में समस्या है परंतु भजन गाने में संजय का कोई मुकाबला नहीं और भजन और माता के जगराते गाते समय संजय की जुबान जरा भी नहीं लड़खड़ाती।
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दोस्तों में मशहूर है "चमकीला":-

संजय को उसके दोस्त चमकीला के नाम से जानते है मैं भी संजय के साथ पढ़ा हूँ जब हम संजय के साथ पढ़ते थे तो संजय बहुत अच्छे गाने सुनाता था इसीलिए इसका नाम चमकीला पड़ गया। आज हम संजय के दोस्त आज गर्व से कहते हैं कि हम संजय के साथ पढ़े है और आज चमकीले की चमक पुरे विश्व में है।
पैराडाइज़ स्कूल ने तराशा हीरा:-
                  पैराडाइज़ के गुरुओं संग संजय
कहते हैं कि बिना गुरु ज्ञान नहीं और किसी व्यक्ति में क्या प्रतिभा है ये विद्यालय में ही निखर कर सामने आती है। पैराडाइज़ चिल्ड्रन केअर सेंटर चुवाड़ी को इसका पूरा श्रेय जाता है जिस तरह उन्होंने संजय जैसे सैंकड़ो दिव्यांग जनों को जीने की राह दिखाई।समाज से कट चुके लोगों को पैराडाइज़ चिल्ड्रन सेंटर में पढ़ाया लिखाया जाता है। 2007 से चुवाड़ी में चल रहा है ये सेंटर और 2008 में जब संजय यंहा वँहा मजदूरी करता था तब इस सेंटर के एम् डी श्री अजय जी के सम्पर्क में आया संजय और फिर शुरू हुआ संजय के सर्वांगीण विकास का सफर।
अन्य बच्चो ने भी ऊँचा किया है नाम:-

संजय की तरह कुछ और बच्चो को भी ये सेंटर विश्व स्तर पर परिचित करवाने में लगा है। सुलोचना देवी मानसिक रूप से अक्षम ये बेटी लॉस एंजेलिस में 2015 में पावर लिफ्टिंग में गोल्ड मैडल जीत चुकी है। इस बार संजय के साथ एक बेटी और गयी थी पैराडाइज़ चिल्ड्रन सेंटर से कंचन देवी अच्छा प्रदर्शन करने के बाद भी दुर्भाग्यबश इस बार जीत न पायी।
पैराडाइज़ स्कूल में ही चपड़ासी का काम:-

संजय कुमार इस समय पैराडाइज़ स्कूल में जी चपड़ासी का काम कर के अपनी आजीविका कमा रहा है।इसी संस्थान ने संजय को अपने ही स्कूल में नोकरी दी है ताकि संजय को यंहा वँहा भटकना न पड़े।
क्या कहते है संस्थान के एमडी:-

संसथान के एमडी अजय चंबियाल जी का कहना है कि ऐसे दिव्यांग बच्चो को भी वैसा ही सम्मान और हक़ मिलना चाहिए जो आम खिलाडी को मिलता है ये बच्चे विकट परिस्थिति में खेल कर देश का नाम चमका रहे हैं। हमे ऐसे बच्चों पर गर्व है।

आरएफसी क्लब सम्मानित कर चुका है:-
आरएफसी क्लब शिक्षा और समाजसेवा के क्षेत्र में काम करने वाला क्लब आरएफसी चुवाड़ी संजय को 2013 के गोल्ड मैडल जितने पर तथा इसी संसथान की सुलोचना को गोल्ड मैडल जितने पर सम्मानित कर चुका है। क्लब के सचिव कनव शर्मा ने सरकार से मांग की है कि ऐसे बच्चो का भविष्य सुरक्षित रहे इसके लिए इन्हें नोकरी दी जाये ताकि ये समाज में सम्मान जनक तरीके से जी सकें।
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संजय कुमार निकट भविष्य में भी इसी तरह के कारनामे करता रहे यही कामना पूरा भारत वर्ष करता है। संजय ने ये साबित कर दिया कि यदि मेहनत की जाये और संघर्षो से न घबराए तो कोई राह मुश्किल नहीं।
 कौन कहता है आसमान पर छेद नहीं होता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।
लेखक परिचय
आशीष बहल चुवाड़ी जिला चम्बा
अध्यापक और लेखन
9736296410
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3 comments:

  1. hats off to Sanjay and Kanchan. Ashish, you are also doing wonderful job by publishing such news. With your efforts we feel our-selves connected with our native place.
    Thanks !!

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