Saturday, April 8, 2017

HP Post Office Recruitment 2017 – Gramin Dak Sevk

HP Post Office Recruitment
Department of Posts, Himachal Pradesh Postal Circle is one of the postal regions which provide high quality mail, parcel and related services. Government notified about GDS vacancies open in HP Post Office for the job session 2017 2018. But before apply for this vacancy it recommended to visit official portal www.hppostalcircle.gov.in to know about Himachal Pradesh Postal Circle, services, products, retail services, customer care, gallery, contact details and more information. We created this HP Post Office Recruitment 2017 2018 web page to provide new vacancy, exam, admit card, result and other related information. The recruitment happens in HP Post Office for various positions such as Postman, MTS, Mail Guard, Gramin Dak Sevak, GDS, Postal Assistant, Sorting Assistant and many more.

HP Post Office Recruitment 2017 – Gramin Dak Sevak (391 Vacancies)

Department of Post, Himachal Post Office Department updated official portal
 www.indiapost.gov.in / www.hppostalcircle.gov.in
with new vacancies. According to notification uploaded at India Post website total 391 jobs open for Gramin Dak Sevak, out of which 212 (two hundred twelve) vacancies open for Unreserved, 84 (eighty four) for Other Backward Classes, 78 (seventy eight) for Scheduled Cast and 17 (seventeen) for Scheduled Tribe. Apply Online form now available, 10thpassed can apply from 3rd April 2017 to 2nd May 2017.

Total Number of Vacancies: 391

Post Name: Gramin Dak Sevak

Salary Offered: Not Specified

Educational Qualification: Aspirants interested in HP Post Office Gramin Dak Sevaks Recruitment 2017 should have 10th / Matriculation passed certificate.

Age Limit: Date to calculate cutoff age is 2nd May 2017

Lower age condition: 18 yearsUpper age limit: 40 years for UR, 43 years for OBC and 45 years for SC/ST

How to Apply: Himachal Postal Circle notified that those candidates complete eligibility norms for GDS post need to use “Apply Online” form available at https://indiapost.gov.in OR http://www.appost.in/gdsonline official website. The registration process available and last date to submit application online mode is 2nd May 2017.

Fee Charges: Rs. 100/- only for OC/OBC and need to pay at any Head Post Office.

Selection: Basis of Merit received in 10th

Notification and Apply Online Form

http://www.appost.in/gdsonline/

Himachal Pradesh (HP) Post Office Recruitment 2017 2018 web page updated with new vacancies. Subscribe this site for all government job updates.

Tuesday, April 4, 2017

क्या आप हिमाचल की इस बहादुर बेटी की मदद करेंगे

हिमाचल की इस बेटी की चाहिए आपका सहयोग

दुनिया की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही आकृति हीर किसी परिचय की मोहताज नहीं। इस बेटी ने 20 साल की उम्र में अपना नाम दुनिया के सबसे कम उम्र की महिला पर्वतारोहियों में दर्ज करवा लिया है। और लिम्का वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में भी स्थान पाया है।
परिचय:- 
आकृति हीर मूलतः हिमाचल प्रदेश जिला कांगड़ा के सुल्याली गांव से रहने वाली है। आकृति के पिता श्री कृष्ण चन्द सरकारी नोकरी में है और माता गृहणी एक भाई और बहन है।

उपलब्धियां:- 
इस छोटी सी उम्र में आकृति कई विश्व कीर्तिमान स्थापित कर चुकी है। वर्ष 2014 में मात्र 20 साल की उम्र में ही यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रस को फतह कर भारतीय तिरंगा 18150 फुट की ऊँची चोटी पर लहराया और भारत की सबसे कम उम्र की लड़की बनी।
2012 में उत्तराखंड के नेहरू इंस्टिट्यूट से से ट्रेनिंग लेकर आकृति अब तक दुनिया की 7 सबसे ऊंची चोटियों को फतह कर चुकी है।

आकृति को प्राइड ऑफ़ हिमाचल सम्मान भी मिल चुका है।
बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए पिता कृष्ण चन्द ने 3 लाख का कर्ज लिया है और बेटी ने साहस दिखाते हुए पिता का सर फक्र से ऊँचा किया और अपना नाम लिम्का वर्ल्ड बुक में दर्ज करवाया।
मिशन माउंट एवरेस्ट:- 
अब आकृति का सपना है दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को फतह करने का और इसके लिए आकृति को आपकी मदद चाहिए।
https://www.bitgiving.com/aakritiheer/
इस में कुल खर्च आएगा 20 लाख रूपये। और इतनी बड़ी रकम ने इस युवा पर्वतारोही के कदमो को रोक दिया है। अगर आकृति इस मंजिल को पंहुचती है तो हिमाचल के लिए भी गर्व की बात होगी। इसीलिए आकृति ने एक कैंपेन शुरू किया है आप भी इसमें सहयोग कर सकते है ताकि आकृति को उसकी मंजिल मिल पाए। नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके आप इस कंपेन का हिस्सा बन सकते हैं।
https://www.bitgiving.com/aakritiheer/
आशीष बहल चुवाड़ी जिला चम्बा
9736296410

जानिए दुर्गा अष्टमी और राम नवमी का महत्व

दुर्गा अष्टमी व राम नवमी में कन्या पूजन

भारतीय हिन्दू संस्कृति में कन्या पूजन का बहुत महत्व है। इस शुभ कार्य को घरों में किसी पर्व की तरह मनाया जाता है। दुर्गा अष्टमी में हर घर में कन्याओं का पूजन होता है। नवरात्रों में माता के 9 रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन माता की आराधना की जाती है और माता मनचाहा वर देती है।
नवरात्रों का महत्व:-

हमारी चेतना के अंदर सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण है। प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते  है। इन 9 दिनों में पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति की आराधना करते हैं, दूसरे तीन दिन रजोगुणी और आखरी तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की आराधना का महत्व है ।

दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती ये तीन रूप में माँ की आराधना करते है| माँ सिर्फ आसमान में कहीं स्थित नही हैं, उसे कहते हे की

"या देवी सर्वभुतेषु चेतनेत्यभिधीयते" - "सभी जीव जंतुओं में चेतना के रूप में ही माँ / देवी तुम स्थित हो" 
माँ के 9 रूप:-

नवरात्रि माँ के अलग अलग रूप को निहारने का सुन्दर त्यौहार है। जैसे कोई शिशु अपनी माँ के गर्भ में 9 महीने रहता हे, वैसे ही हम अपने आप में परा प्रकृति में रहकर - ध्यान में मग्न होने का इन 9 दिन का महत्व है। वहाँ से फिर बाहर निकलते है तो सृजनात्मकता का प्रस्सपुरण जीवन में आने लगता है।

शैलपुत्री

ब्रह्मचारिणी

चन्द्रघंटा

कूष्माण्डा

स्कंदमाता

कात्यायनी

कालरात्रि

महागौरी

सिद्धिदात्री
कन्या पूजन:-

हमारी भारतीय संस्कृति में कन्या को देवी के रूप में पूजा जाता है। पुरुष प्रधान समाज होने का लांछन लिए हमारा समाज स्त्री को माँ , देवी के रूप में पूजता आया है। किसी भी शुभ कार्य में कन्या पूजन करना हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है। नवरात्रों से लेकर जन्मदिन पूजन तक कन्या पूजन के बिना अधूरा माना जाता है।
हरियाली बोना:- इन 9 दिनों में घरों तथा मंदिरों में हरियोली बोई जाती है। जौ को किसी वर्तन में मिटटी के बीच उगाया जाता है। 9 दिन के बाद कन्याओं के पांव धुलाये जाते हैं तथा उन्हें प्रसाद देकर सुखद जीवन का आशीर्वाद लेते हैं।
आशीष बहल चुवाड़ी जिला चम्बा हि प्र
9736296410

Monday, April 3, 2017

चीन में योग संस्कृति का गुरु चम्बा का युवक

चम्बा के रवि ने योग को दिलाई पहचान
रवि भारद्वाज एक ऐसा नाम जो आज किसी परिचय का मोहताज नहीं जिला चम्बा के चब गांव का ये नोजवान आज अपने बलबूते पर चीन के लोगो में भारतीय संस्कृति योग की एक अमीट छाप छोड़ रहा है। भारतीय संस्कृति और योग के प्रचार में लगा रवि आज कई युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। आज ब्लॉग में पढ़िए रवि के योग प्रचार और प्रसार की कहानी और अच्छी लगे तो शेयर करें।

ज़िन्दगी का सफर:-
रवि की यंहा तक पंहुचने का सफर कोई आसान नहीं रहा कई उतार चढ़ाव पार कर के आज चीन में अपना नाम कमा रहा है। अगर बात करें रवि के बचपन की तो श्री ज्ञान चंद के यंहा 1990 में इनका जन्म हुआ। एक मध्यम वर्गीय परिवार पिता सरकारी ड्राईवर और माता गृहणी एक छोटा भाई रोहित। पढाई में मध्यम स्तरीय छात्र रहे 12 वी तक की शिक्षा स्थानीय स्कूलों में पूरी की तथा उसके बाद पढाई से मन बिलकुल हट गया। और अपने गाँव व् शहर के कुछ लडको के साथ इधर उधर घूमना यही दिनचर्या बन  गयी। कुछ कमाने की नहीं सूझी तो हिमाचल की पंसदीदा जगह बद्दी सोलन का रुख कर लिया जन्हा हर बेरोजगार युवा पंहुच जाता है और मिलता कुछ भी नहीं।  1 साल तक वंहा ड्राईवरी की कई ट्रको ,गाड़ियों के साथ दिन भर घूमना रवि का एक शोक बन गया। फिर एक दिन वही हुआ जो हर किसी के जीवन में होता है और वो है बदलाव।
आप मेरे ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं अन्य रोचक कथाएं व प्रेरणादायक कहानियां



पतंजलि में सीखा योग:-

 रवि के बदलाव की कहानी बनी जिला चम्बा के चुवाड़ी शहर में रवि के ताया जी श्री सुखदेव भरद्वाज के घर। बद्दी से थोड़े दिन घर वापिस जाते हुए रवि ने चुवाड़ी में रात गुजारने की सोची अपने ताया जी के घर पंहुच गया। वंहा ताया जी के लडको और रवि के बड़े भाइयों दलीप भरद्वाज और कुलदीप भरद्वाज जी ने रवि को उसके कार्य के बारे में पूछा और उसे समझाया कि ये काम मत कर इसमें भविष्य नहीं है और उस रात रवि को बहुत समझाया और उसे सलाह दी कि उसे वो लोग पतंजली में दाखिला दिलवा देते हैं और वंहा पर योग में स्नातक डिग्री कर रवि ने उनकी बातें सुनी और सुबह पतंजली जाने के लिए तैयार हो गया। रवि के बड़े भाई दलीप भरद्वाज उसे अपने साथ बाबा रामदेव जी के पतंजली योगपीठ ले गये और वंहा दाखिल करवा दिया। 2010 में पतंजली में अपनी पढ़ाई शुरू की तथा 3 साल तक पतंजली में रह कर योग के गूढ़ रहस्य को बारीकियों से भलि भांति समझा और जाना बाबा रामदेव जी का आशीर्वाद लेकर उनका शिष्य योग की शिक्षा और प्रचार के लिए वंहा से निकल आया। फिर पतंजली से निकलने के बाद भारतीय दर्शन की अमिट छाप रवि पर पड़ चुकी थी ध्येय था तो बस एक योग और संस्कृति को दुनिया तक पंहुचाने का।
चीन में गुरु:-  

आज रवि चीन में हजारों लोगो को योग संस्कृति का पाठ पढ़ा रहा है चीन के बहुत से शहरों में योग सिखाने के बाद आजकल रवि मंगोलिया के लोगो को योग का ज्ञान दे रहा है और चीन के लोगो में योग के प्रति एक अलग ही लगाव है वो अपने आप को फिट रखने के लिए योग का सहारा लेते हैं।
चीन का सफर:-
इसी संकल्प के साथ पतंजली से निकलते ही पहले गुडगाँव योगा हेल्थ केयर योगा स्टूडियो के द्वारा 1 वर्ष तक गुडगाँव के लोगो के जीवन में स्वास्थ्य का समावेश हेतु योग शिविर लगाये। तथा उसके बाद चंडीगढ़ में 1 वर्ष तक योगा अध्यापक के रूप में कार्य किया। भारत में सेवा करने के बाद 2015 में चीन का रुख किया। अपने मित्रो व गुरुओं की सलाह से चीन की योग प्रचार के लिए चुना। राह कोई आसान नहीं थी सबसे बड़ी समस्या थी भाषा की। इंग्लिश में पहले ही हाथ कमजोर और चीनी भाषा की ए बी सी भी नहीं पता। पर कहते है कि संघर्ष के बाद ही जीत कदम चूमती है उन्होंने किसी तरीके से चीनी भाषा को जाना और थोड़ा बहुत सिखा।

भारतीय संस्कृति का प्रचार:-
रवि भरद्वाज जी से जब बात की तो उन्होंने कहा कि भारत तो योग विद्या का जन्मदाता है वंहा के लोगो के खून में योग है मुझे गर्व है कि मै भारत का बेटा हूँ और योग जैसे पवित्र कार्य में लगा हूँ और मुझे मौका मिला बाहर किसी देश में जाकर सेवा करने का। यंहा चीन के लोगो में योग के प्रति बहुत रूचि है लोग व्यायाम बगेरा तो करते हैं पर प्रणायाम के अभ्यासों का यंहा कोई पता नहीं था। फिर मैंने यंहा लोगो को योग और प्रणायाम के बारे में बताया। मुझे बहुत आनंद मिलता है जब मै चीनी भाषा में लोगो को भगवान राम और भगवान शिव पार्वती की कहानियां सुनाता हूँ। वो ॐ का उच्चारण करते हैं शांति पाठ करते हैं। फिर मै उन्हें चीनी भाषा में उसका अर्थ समझा कर अपने महान ग्रंथो और महापुरुषों का व्याख्यान करता हूँ। वो लोग भारत की इस महान गाथा को सुन कर भारतीय संस्कृति के आगे नतमस्तक होते हैं बस यही आनंद की अनुभूति मुझे अंदर तक रोमांचित कर देती है। और सोचता हूँ कि मै यंह मात्र पैसे कमाने नहीं आया क्यूंकि इस क्षेत्र में वैसे भी अधिक धन नहीं पर लोगो के परमार्थ का जो धन मुझे मिल रहा है वो अद्भुत है। रवि भरद्वाज बताते हैं कि यंहा कई लोग मेरे पास आते हैं और नशा छोड़ने के लिए योग क्रियाएं सीखते है और मैंने देखा है कि उनके अंदर ऐसा परिवर्तन होता है कि वो नशा बिलकुल छोड़ देते हैं। रवि चीन के अध्यापकों को योग की कक्षाएं लगाते हैं उन्हें योग सीखा कर प्रमाण पत्र भी दिए जाते हैं फिर वंहा के कई अध्यापक अपने स्कूल के छात्रों को योग सिखाते है वंहा पर स्कुलो में योग बहुत फायदेमंद माना जाता है।
ये मात्र हमारे शरीर को स्वस्थ रखने का एक जरिया है जिसे हर कोई अपना सकता है।
रवि अभी कुछ समय और चीन में रहना चाहते हैं और फिर उसके बाद किसी अन्य देश में भी भारतीय संस्कृति का प्रचार के लिए निकल जायंगे और जीवन भर योग के प्रचार में लगे रहेंगे।
http://ashish-behal.blogspot.com/2017/03/blog-post_31.html
जानें माता रानी की सारी कथा मेरे ब्लॉग में पसन्द आये तो शेयर करें। जय माता दी।

चित्रकारी का शोक:- 

रवि को चित्रकारी का भी शोक है इसलिए खाली समय में वो पेंटिंग बनाते है और पेंटिंग भी आध्यात्मिक विषय पर रहती हैं।
आशीष बहल
चुवाड़ी जिला चम्बा 
हि प्र
ph 9736296410