माता के दर से कोई खाली हाथ नहीं जाता
हिमाचल प्रदेश जिसे देवी देवताओं की भूमि कहा जाता है यंहा पर कई शक्तिपीठ स्थापित है। यही कारण है कि आजकल नवरात्रों में हिमाचल की भूमि पर लाखों श्रद्धालु पँहुचते हैं। आज हम जानेंगे हिमाचल के चम्बा में स्थित माता भलेई के बारे में।
भलेई माता:-
देवभूमि हिमाचल प्रदेश में चंबा जिले से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर चोहड़ा डैम के नजदीक शक्तिपीठ भलेई माता का मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। माता रानी को यहां पर भलेई को जागती ज्योत के नाम से भी पुकारते हैं। यहां पर पूरे साल ही भक्तों का आना जाना लगा रहता है।
मन्नत पूरी होने का संकेत है पसीना:-
ये अपने आप में एक रोचक बात है कि यंहा माता रानी उसी समय भक्तो की इच्छा पूर्ण करने का संकेत दे देती है।
स्थानीय मान्यता है कि अगर मन्नत मांगते समय मां की मूर्ति पर पसीना आ जाए तो भक्तों की मुराद अवश्य पूरी होती है। दिन में कई बार माता को पसीना आता है और भक्त ख़ुशी से जयकारे लगाते हैं। ऐसे में भक्त यहीं पर बैठकर मां की मूर्ति पर पसीना आने का घंटों इंतजार किया करते हैं क्योंकि ऐसा मानना है कि पसीने के समय जितने भक्त मौजूद होते हैं उन सबकी मुराद पूरी हो जाती है।
मंदिर की स्थापना से जुड़ी है यह कहानी:-
इस मंदिर के स्थापना के बारे में कहा जाता है ये माता स्वयं ही भ्राण नामक स्थान पर एक बावड़ी में यह माता प्रकट हुई थीं। इसलिए इसे स्वयंभू माता भी कहा जाता है उस समय उन्होंने चंबा के राजा प्रताप सिंह को सपने में दर्शन देकर उन्हें चंबा में स्थापित करने का आदेश दिया था। राजा जब मां की प्रतिमा को लेकर जा रहे थे तो उन्हें भलेई का स्थान पसंद आ गया। इस पर माता ने पुन: राजा को स्वप्न में वहीं भलेई में स्थापित करने को कहा।
भलेई में बनवाया मंदिर:-
स्वप्न में मां द्वारा दी गई आज्ञा के अनुसार राजा ने मां की वहीं पर एक मंदिर बनवाकर देवी प्रतिमा को स्थापित करवा दिया। नवरात्रों के अवसर पर यहां लाखों की संख्या में भक्त आते हैं।
पहले वर्जित था महिला प्रवेश:-
शुरु में कुछ समय महिलाओं का प्रवेश वर्जित रखा गया लेकिन समय के साथ यह परंपरा खत्म हो गई और वर्तमान में सभी लोग बिना किसी तरह के भेदभाव के मंदिर में दर्शन करते हैं। अपने दर्शनों के लिए आने भक्तों की मां इच्छा अवश्य पूरी करती है।
चोरों को कर दिया अँधा:-
कहते हैं कि आज से लगभग 45 वर्ष पहले लगभग 1973 के आसपास इस मंदिर में चोरों ने माता की मूर्ति और अन्य कीमती सामान चुरा लिया परन्तु वो उस सामान को चुरा कर अधिक दूर न जा सके जैसे ही वह पास लगते चोहड़ा में दरिया को पार करने लगे तो उनकी आँखों की रौशनी चली गयी। चोर घबरा गए और डर कर वंही सामान रख कर चले गए।
हिमाचल में इस मंदिर के दर्शन के मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो जरूर आएं किसी भी प्रकार की मदद के लिए मैं तैयार हूं सेवा का मौका दें मेरे नम्बर पर सम्पर्क करें।
लेखक परिचय
हिमाचल प्रदेश जिसे देवी देवताओं की भूमि कहा जाता है यंहा पर कई शक्तिपीठ स्थापित है। यही कारण है कि आजकल नवरात्रों में हिमाचल की भूमि पर लाखों श्रद्धालु पँहुचते हैं। आज हम जानेंगे हिमाचल के चम्बा में स्थित माता भलेई के बारे में।
भलेई माता:-
देवभूमि हिमाचल प्रदेश में चंबा जिले से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर चोहड़ा डैम के नजदीक शक्तिपीठ भलेई माता का मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है। माता रानी को यहां पर भलेई को जागती ज्योत के नाम से भी पुकारते हैं। यहां पर पूरे साल ही भक्तों का आना जाना लगा रहता है।
ये अपने आप में एक रोचक बात है कि यंहा माता रानी उसी समय भक्तो की इच्छा पूर्ण करने का संकेत दे देती है।
स्थानीय मान्यता है कि अगर मन्नत मांगते समय मां की मूर्ति पर पसीना आ जाए तो भक्तों की मुराद अवश्य पूरी होती है। दिन में कई बार माता को पसीना आता है और भक्त ख़ुशी से जयकारे लगाते हैं। ऐसे में भक्त यहीं पर बैठकर मां की मूर्ति पर पसीना आने का घंटों इंतजार किया करते हैं क्योंकि ऐसा मानना है कि पसीने के समय जितने भक्त मौजूद होते हैं उन सबकी मुराद पूरी हो जाती है।
मंदिर की स्थापना से जुड़ी है यह कहानी:-
इस मंदिर के स्थापना के बारे में कहा जाता है ये माता स्वयं ही भ्राण नामक स्थान पर एक बावड़ी में यह माता प्रकट हुई थीं। इसलिए इसे स्वयंभू माता भी कहा जाता है उस समय उन्होंने चंबा के राजा प्रताप सिंह को सपने में दर्शन देकर उन्हें चंबा में स्थापित करने का आदेश दिया था। राजा जब मां की प्रतिमा को लेकर जा रहे थे तो उन्हें भलेई का स्थान पसंद आ गया। इस पर माता ने पुन: राजा को स्वप्न में वहीं भलेई में स्थापित करने को कहा।
भलेई में बनवाया मंदिर:-
स्वप्न में मां द्वारा दी गई आज्ञा के अनुसार राजा ने मां की वहीं पर एक मंदिर बनवाकर देवी प्रतिमा को स्थापित करवा दिया। नवरात्रों के अवसर पर यहां लाखों की संख्या में भक्त आते हैं।
पहले वर्जित था महिला प्रवेश:-
शुरु में कुछ समय महिलाओं का प्रवेश वर्जित रखा गया लेकिन समय के साथ यह परंपरा खत्म हो गई और वर्तमान में सभी लोग बिना किसी तरह के भेदभाव के मंदिर में दर्शन करते हैं। अपने दर्शनों के लिए आने भक्तों की मां इच्छा अवश्य पूरी करती है।
चोरों को कर दिया अँधा:-
कहते हैं कि आज से लगभग 45 वर्ष पहले लगभग 1973 के आसपास इस मंदिर में चोरों ने माता की मूर्ति और अन्य कीमती सामान चुरा लिया परन्तु वो उस सामान को चुरा कर अधिक दूर न जा सके जैसे ही वह पास लगते चोहड़ा में दरिया को पार करने लगे तो उनकी आँखों की रौशनी चली गयी। चोर घबरा गए और डर कर वंही सामान रख कर चले गए।
हिमाचल में इस मंदिर के दर्शन के मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं तो जरूर आएं किसी भी प्रकार की मदद के लिए मैं तैयार हूं सेवा का मौका दें मेरे नम्बर पर सम्पर्क करें।
लेखक परिचय
आशीष बहल चुवाड़ी जिला चम्बा हि प्र
अध्यापन व लेखन कार्य
9736296410
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